स्माइलिंग डिप्रेशन
#मुखौटा #masked "एक हंसी के पीछे हजारों गम छिपाए बैठे हैं इसीलिए चेहरे पर मुखौटा लगाए बैठे हैं" प्रेस कांफ्रेंस में बैठे हैं मीडिया कुछ अनुमान ना लगा ले तो फिर मुस्कुराना ही है! बॉस के सामने आना है, मुस्कुराना ही है! रिसेप्शन पर बैठे हैं, कस्टमर आएगा, मुस्कुराना ही है! कॉल सेंटर में बैठे हैं, कॉल आया, मुस्कुरा कर ही बात करनी है! पार्टी में हैं,सब लोग मुस्कुरा रहें हैं,आपको भी मुस्कुराना ही है! आप दुकान पर बैठे हैं, ग्राहक आया, मुस्कुराना ही है! जी हां मुस्कुराना ही है, चाहे आप अंदर से कैसा भी महसूस कर रहे हैं। चाहे आप कितने भी उदास हों। आजकल इसी के पैसे मिलते हैं, लोग इसी में जीते हैं। अगर आप पब्लिकली स्माइल नहीं करते हैं तो आप पिछड़े माने जाएंगे। अपने आस पास बनाई इस बनावटी दुनिया के हम खोजकर्ता भी हैं, कलाकार भी खुद हैं और खुद ही दर्शक भी। असल में इन मुस्कुराते मुखौटे के पीछे का सच शायद बहुत डरावना होता है। ये जो स्माइलिंग कल्चर बनाया गया है, जो सिर्फ औपचारिकता भर के लिए आपको हंसने को कहता है। य...