रामधारी सिंह का शक

राजू सिंह 22 वर्ष की आयु का एक कॉलेज जाने वाला विद्यार्थी था, उसे क्लीनिक में लाया गया था क्युकी उसने खुद को अपने कमरे में बंद करना शुरू कर दिया था। रामधारी एक अच्छा विद्यार्थी हुआ करता था, पर वह अपनी पिछली परीक्षा पास नहीं कर पाया था । उसकी मां का कहना था कि वह घंटों टकटकी लगा न जानें कहां देखता रहता । कभी-कभी वह खुद से इस तरह बडबडाते हुए बातें करता जैसे वह किसी काल्पनिक व्यक्ति से बाते कर रहा हो । पहले तो घर वालों को लगा कि ये किसी तरह के भूत प्रेत का साया है, इसलिए उसे बहुत सारे सोखा, तांत्रिक और बाबाओं को दिखाया गया लेकिन उसकी स्थित बिगड़ती ही गई। बगल के गांव के ही एक अध्यापक महोदय कि सलाह पर रामधारी को उसके माता-पिता के द्वारा जबरन साइकियाट्रिस्ट के पास लाना पड़ा । शुरू में उसने डॉक्टर से बात करने से इंकार कर दिया । कुछ देर के बाद उसने बताया कि उसके माता-पिता और पड़ोसी उसे मारने की साजिश कर रहे हैं और उसके पड़ोसी उसके दिमाग को नियंत्रित कर रहे हैं और उसके दिमाग में गड़बड़ी मचा रहे है। उसने कहा कि वह अपने पड़ोसियों को अपने दरवाजे के बाहर अपने बारे में बातें करते और उसके घर वालों के खिलाफ बात कहते सुनता था । उसने कहा कि उसे लगता है जैसे उसके शरीर को कोई और नियंत्रित कर रहा है, पर उसे समझ नहीं आ रहा की उसे क्लीनिक किसलिए आना चाहिए क्योंकि वह बीमार तो है नहीं । 
तो फिर सच क्या है???
सच ये है कि रामधारी एक गंभीर मानसिक रोग से पीड़ित था जिसे सिजोफ्रेनिया कहा जाता है । इस बीमारी में पीड़ित व्यक्ति को आवाजें सुनाई देती है जो अन्य किसी को सुनाई नहीं देती हैं या यूं कहिए कि जिनका कोई अस्तित्व नहीं होता है। कभी सिर्फ एक आवाज और कभी कई आवाजें सुनाई दे सकती हैं।जैसा कि इस केस में रामधारी को उसके पड़ोसियों की आवाजे आती थीं।
सिजोफ्रेनिया (#Schizophrenia) एक गंभीर मानसिक बीमारी है जो आम तौर पर 30 की उम्र से पहले शुरू होती है । इससे पीड़ित व्यक्ति आक्रमक हो सकते हैं या अपने आप में रहने लगते हैं, वे बेतुकी बातें कर सकते हैं और अपने से भी बातें कर सकते हैं जिसकी वजह से वो अकेले बैठकर बुदबुदाते हुए मिल सकते हैं । वे दूसरों पर शक कर सकते हैं और विचित्र बातों पर यकीन भी। जैसे यह मानना कि कोई उनके विचारों में हस्तक्षेप कर रहा है । उन्हें मतिभ्रम हो सकते हैं, जैसे ऐसी आवाजें सुनना जिन्हें दूसरे  नहीं सुन पा रहे। सुनाई देने वाली आवाजों पर उन्हें इतना यकीन हो जाता है कि उनको कितना भी समझाया जाए वो मानने को तैयार ही नहीं होते हैं।
दुर्भाग्यवश, सिजोफ्रेनिया के ज्यादातर रोगी इस बात को स्वीकार नहीं करते कि वे एक रोग से पीड़ित हैं और स्वेच्छा से उपचार कराने से इंकार करते हैं । Schizophrenia आम तौर एक लंबी चलने वाली बीमारी है । यह कई महीने या कई साल चलती है और इसमें लंबे उपचार की जरुरत हो सकती है। लेकिन अगर जल्दी इलाज स्टार्ट कर दिया जाए तो बेहतर परिणाम मिलते हैं। विडंबना ये है कि भारत और अन्य एशियाई देशों में अभी भी लोग मानसिक बीमारी को लेकर जागरूक नहीं है और ऐसे लोग किसी मानसिक रोग विशेषज्ञ के पास ना जाकर झाड़ फूंक के चक्कर में पड़े रहते हैं। अगर आप के आस पास कोई रामधारी दिख जाए तो अगली बार उसे किसी झाड़ फूंक वाले के पास नहीं, साइकियाट्रिस्ट को दिखाने की सलाह दीजिए।
                   धन्यवाद।
                                        डॉ. एस. बी. मिश्रा
                                        साइकियाट्रिस्ट

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